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शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

जनिये टूथब्रश करने का सही तरीका ।

 ज्यादातर लोगों को नहीं पता brush करने का सही तरीका ।

जनिये टूथब्रश करने का सही तरीका ।


   क्या आप जानते हैं कि ब्रश करने का सही तरीका क्या है, ज्यादातर लोग बहुत तेज़ी से ब्रश करते है क्योंकि उन्हें लगता है इससे दांत अच्छे से साफ होंगे पर होता उल्टा है इससे दांत कमज़ोर हो जाते है 

   कुछ उपयोगी जानकारी दांतो के बारे में 

  1      सुबह ब्रश करने के इलावा रात को भी ब्रश करना चाहिए ,सुबह अगर  कभी नाश्ता ब्रश से पहले मजबूरी में करना पड़े तो खाना खाने के 1 घंटे के बाद ही टूथब्रुश करना चाहिये ,इससे पहले ब्रश करने में नुकसान होता है ओर इनेमल क्षतिग्रस्त होता है । रात को सोने से पहले ब्रश करना सबसे ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि खाने के अन्न रात को सड़ कर दांतों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते है 

2     कभी भी टूथब्रश को गीला करके उसमे टूथपेस्ट लगा कर  दांतो को साफ न करे इससे पेस्ट के केमिकल झाग बनकर दांतो को नुकसान करते है । साथ मे ब्रश करने में परेशानी भी होती है ।

3     कभी भी दो मिनट से ज्यादा टूथब्रश न करे 

4      केवल मटर के दाने के बराबर  टूथपेस्ट ही ब्रश में लगाये ,इससे ज्यादा आपके मसूढो के लिए ठीक नही 

5       टूथब्रश को 45 डिग्री में रख कर गोल गोल घुमाते हुए ब्रश करे  कभी भी 90 डिग्री में ब्रश न करे  इससे दांतों को जबरदस्त नुकसान होता है ।

6       ब्रश करते हुए दांतो व मसूढो में जोर न लगाएं वर्ना मसूढ़े जल्दी ही दांतो का साथ छोड़ देंगे , सॉफ्ट ब्रश का इस्तेमाल करे ।

7        ब्रश करने के बाद  उंगलियों से मसूड़ों पर हल्का हल्का मसाज करने से ये मजबूत बने रहते है ।

8       क्लीनर से जीभ की सफाई जरूर करे नही तो ब्रश को हो उल्टा करके हल्के हाथों से जीभ साफ लर सकते है 

9       सप्ताह  में एक दिन दांतो को नींबू से साफ लड़ने से उस पर पीलापन नही आता 

10     दही विटामिन सी ओर पोष्टिक सलाद दांतो की सेहत बनाये रखते है 

11    बहुत गर्म या फ्रिज का  ठंडा पानी दांतों के इनेमल कमज़ोर करता है  इससे बचे ।

12       टूथ ब्रश को या तो महीने -दो महीने में बदले या गरमपानी में नमक डाल कर इसे दो मिनट के लिए उबाले ।जिससे इसके वैक्टीरिया नष्ट हो जाएंगे ।

13      कुछ भी खाने के बाद कुरला करना न भूले ।

    दांतो के सबसे ऊपर के भाग को इनेमल  कहा जाता है इसके नीचे का भाग डेंटिंन कहलाता है फिर पल्प आता है इनेमल ओर डेंटिंन तक का भाग अगर खराब हो तो फिलिंग से दांत बच जाता है हां डेंटिन में सड़न पहुचने से सेंसटिविटी होती है यानी गर्म ठंडा लगता है  पर यदि पल्प तक खराबी आ जाये तो RCT करानी पड़ सकती है क्योंकि पल्प में ही बारीक नसे होती है जब इसमें सड़न होती है तो तेज़ दर्द होना शुरू हो जाता हैं और पस  या मवाद दांतों के बेस वाली नसों में जमा हो जाती है  जिसका इलाज RCT (रूट कैनाल )से या इम्प्लांटेशन से संभव है । RCT इसलिए महंगी होती है क्यंकि इसका एक साथ इलाज नही होता व दो तीन या ज्यादा बार इसका चरणों मे इलाज करना पड़ता है एक एक नसों को निकाल कर देखना पड़ता है कि सड़न कहां तक पहुंची है । या फिर पूरा दांत इम्प्लांट कराना पड़ सकता है ।

       दांत अगर निकाले तो उसे साधारण में न ले मुँह के अंदर ऊपर ओर नीचे दोनो तरफ के दांत की आपस मे एलाइनमेंट होती है अगर उसे समय पर न भरा जाए तो जल्दी ही दांत एक दूसरे से अलाइनमेंट बिगाड़ना शुरू कर देते है ओर फिर टेढ़े मेढ़े दांत होने शुरू हो जाते है दूसरा एक तरफ के दांत टूटने पर आप मुँह के अंदर दूसरी तरफ के दांतों से काम लेना शुरू कर देते है जिससे उनमें तेज़ी से सड़न पैदा होने की सम्भवना हो जाती है ।

         

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