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रविवार, 6 दिसंबर 2020

शिमला मिर्च का सोलन कनेक्शन

 

 शिमला मिर्च का सोलन सम्बन्ध ।

शिमला मिर्च में विटामिन A ओर विटामिन C भरपूर मात्रा में पाए जाते है  ओर आज की तारीख में नूडल्स से लेकर पनीर टिक्का सब मे ये इस्तेमाल होती है इनके बिना कई भारतीय व्यजन की आप सोच भी नही सकते ,क्योंकि इसे 5 मिनट में बनाया जा सकता है  इसे एनर्जी सेवर भी कहा जाता  है ,शिमला मिर्च वस्तुत दक्षिणी अमेरिका का पौधा है जहां इसकी खेती हज़ारों सालों से की जा रही है जैसे हल्दी की खेती भारत मे हज़ारों सालों से हो रही है , अंग्रेज़ इसे सबसे पहले बीज के रूप में भारत लेकर आये, क्योंकि शिमला मिर्च  के लिए अनुकूल वातावरण की जरूरत होती थी  ,इसलिए वो इसके लिए उपयुक्त जगह ढूंढ रहे थे  बाद में वो इसी वातावरण खोज के अंतर्गत शिमला आ पहुंचे जहां उन्होंने अपनी कालोनी पहले ही बसा दी थी क्योंकि यहां का वातावरण उनके इंग्लैड से मिलता जुलता था।

    अंग्रेज़ हर वो चीज़ जो उन्हें अपने देश मे पसन्द होती थी उन सब को भारत मे भी लाने की कोशिश करते थे क्योंकि इंग्लैड से बाहर सबसे ज्यादा बड़ी संख्या में भारत मे ही उनके लोग रहा करते थे  शिमला मिर्च की सब्ज़ी अंग्रेज़ बहुत ज्यादा पसंद करते थे तो उसे बीज के रूप में वो भारत लाये , हिमाचल का वातावरण शिमला मिर्च को उगाने के लिए मनमुफीद था इसलिए उन्होंने इसे सबसे पहले यही उगाने के निर्णय लिया  था ।

कैसे शिमला मिर्च इस जगह पहुंची

  उस समय शिमला का इलाका specified नही था ,आस पास के सभी इलाको को शिमला ही समझा जाता था , अंग्रेज़ आज के सुबाथू जहां उनका बड़ा आर्मी Establishment था शिमला से भी पहले बसा चुके थे व वहां रहा करते थे इसे तकरीबन 1815 में  उन्होंने बसाया  था उसके बाद उनकी नज़र में शिमला आ गया क्योंकि शिमला ज्यादा ऊंचाई में था और बहुत खूबसूरत भी था इसलिए अंग्रेज़ो ने शिमला में भी अपनी colony बनाने का निर्णय लिया और इसके लिए उन्होंने सुबाथू से शिमला को रोड बनाने का निश्चय किया इनके लिए  उन्होंने शिमला तक के सारे उपयुक्त रास्ते  खंगाल डाले, अंग्रेज़ जब शिमला तक का रोड बनाने के लिए  वाकनाघाट में  सर्वे  करने के लिए घूम रहे थे तो इन्हें ये जगह खेती के लिए बड़ी अनुकूल लगी ओर फिर बाद में शिमला मिर्च के लिये भी इसे अनुकूल माना गया । यानी वाकनाघाट । यहां न तो शिमला की तरह खड़ी चढ़ाई थी न ही वहां की तरह ठंड ,जो इसकी फसल उगाने व ट्रांस्पोर्टेशन के लिए बेहतरीन थी  ओर यह उनकी दो बस्तियों सुबाथू ओर शिमला को जोड़ने वाली सड़क के बीच मे आ रहा था तो इस जगह को शिमला मिर्च की खेती के लिए प्रयोगात्मक रूप से सबसे पहले यूज़ किया गया जहां से दोनो Army Cantt में आराम से इसकी सप्लाई की गई , क्यंकि ये जगह शिमला के नजदीक थी इसलिए उस समय पूरे भारत मे इसे शिमला के नाम से ही प्रचारित किया गया बस यही से इसका नाम शिमला मिर्च पड़ा ,जबकि वास्तव में ये वाकनाघाट क्षेत्र था ,जो सोलन में पड़ता है ।


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जिला सोलन के वाकनाघाट  में जे. पी . की आई .टी .युनिवर्सिटी भी बनी है ,आज भी यह जगह सब्जियों के लिए सबसे आदर्श मानी जाती है यहाँ की शिमला मिर्च की डिमांड दूर 2 तक है ,पर इस इलाके के लोगो को मलाल है कि उनके इलाके के नाम इतिहास में  दर्ज होते 2 रह गया ।

 अब किसान लाल ओर पीली शिमला मिर्च में फ़ोकस कर रहे है जिसकी डिमांड फाइव स्टार होटल में है व इसके रेट अच्छा मिलता है क्योंकि यहां अभी भी आर्गेनिक खेती होती है , व बहुत कम रासनयिक खाद का इस्तेमाल होता है  इसलिए लोग यहां की शिमला मिर्च को हाथों हाथ ले लेते है ।



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