क्या आप जानते है अहलूवालिया खानदान से थी भारत के एम्स संस्थान को बनवाने वाली राजकुमारी ।
"AIIMS"
कपूरथला राज परिवार की अमृता कौर आहलू वालिया ने बनवाया था , इसके लिए निजी संपत्ति खर्च की थी विदेशों से चंदा जुटाया इसके लिए अपनी 100 एकड़ जमीन बेचीं थी हिमाचल के अपने बंगले मेनरविल्ला जो शिमला में था को एम्स के नाम कर दिया व इसे राष्ट्र की सम्पत्ति घोषित कर दिया था । जहां आज डॉक्टर ओर नर्स ठहर सकते है ।
लखनऊ में 1889 में इन्होंने जन्म लिया इनके पिता हरनाम सिंह कपूरथला रियासत से थे शिक्षा ऑक्सफोर्ड से की थी, जब वह ऑक्सफोर्ड से पढ़ कर वापिस आई तो शिमला के वॉयस रीगल (आज का राष्ट्रपति भवन शिमला) में एक फंक्शन हुआ जिसमें अंग्रेज ओर इंडियन शामिल थे पार्टी के दौरान एक अंग्रेज़ ने उन्हें डांस करने का ऑफ़र दिया जिसे उसने मन कर दिया इस पर अंग्रेज़ भड़क गया ओर भारतीयों के बारे में काफी अपशब्द कहे इससे उनके मन को बहुत धक्का लगा ओर देश प्रेम की भावना जागृत हुई बाद में जब भारत में जलियांवाला बाग घटना हुई तो वह आजादी के आंदोलन में कूद पड़ी और महात्मा गांधी जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चली, वह महात्मा गांधी की 16 सालों तक सेकेट्री रही ,महात्मा गांधी के कहने पर उन्होंने हरिजनों की बस्ती में जा के सफाई का काम भी किया क्योंकि गोपाल कृष्ण गोखले उनके पिता के बहुत नजदीकी थे इसलिए बचपन से ही उनका झुकाव राजनीति की तरफ रहा , वो All India Women's conference की फाउंडर मेंबर भी रही थी ।
बहुत कम लोगों को पता होगा कि भारत की प्रथम कैबिनेट मंत्री राजकुमारी अमृता कौर अपना पहला चुनाव आज के हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट से जीती थी जोकि उस समय यूनाइटेड प्रोविंस के नाम से जाना जाता था
वह भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री रही उसके बाद वह वर्ल्ड हेल्थ असेंबली कि प्रेसिडेंट भी रही , पहली बार कोई भारतीय ,एशियाई और महिला इस पद तक पहुंची थी वह डॉक्टर बनना चाहती थी पर वह उसमें सफल ना हो सकी क्योंकि उन्होंने भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया पर पर वह भारत की स्वास्थ्य मंत्री तो बन ही गई ।
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टाइम मैगजीन ने अभी हाल में पिछले सदी में 100 सबसे प्रभावशाली महिलाओं के नाम सार्वजनिक किए हैं जिसमें भारत की 2 महिलाएं भी शामिल है इसमें से एक तो राजकुमारी अमृता कौर जी और दूसरी श्रीमती इंदिरा गांधी को शामिल किया गया , राजकुमारी अमृता कौर को 1947 के लिए और इंदिरा गांधी को 1976 के लिए womens of the year चुना गया ।
दुख इस बात का है कि आज नई पीढ़ी उनके नाम को भी नहीं जानती जोकि बहुत दुखदाई लगता है जरूरत है उनके योगदान को रेखांकित करने की ।
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