शनिवार, 12 दिसंबर 2020

भविष्य में इलेक्ट्रिक ओर हइड्रोजन से वलेगी गाड़ियां

भविष्य में इलेक्ट्रिक ओर  हइड्रोजन से वलेगी गाड़ियां
Electric n Hydrojan Vehicle

 भविष्य में इलेक्ट्रिक ओर  हइड्रोजन से चलेगी गाड़ियां

  ईंधन का बाजार तेज़ी से चेंज हो रहा है ,ब्रिटेन ने 2030 तक सभी गाड़ियां इलेक्ट्रिक करने की घोषणा की है ,भारत सरकार भी 2030 तक 30% इलेक्ट्रिक गाड़ियां चलाने का लक्ष्य रखे हुए है ।

विकल्प ओर भी है 

 इलेक्ट्रिक के इलावा पानी से तैयार होने वाला हाइड्रोजन  भी ईंधन के रूप में तेज़ी से जगह बना रहा है बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगो मे तेज़ी से बीमारियां बढ़ी है ओर इसी से निजात पाने के लिए पेट्रोल डीजल के विकल्प के रूप में  हाइड्रोजन ओर इलेक्ट्रिक गाड़ियों  ने अपनी जगह बनानी शुरू कर दी है  यद्यपि अभी दोनो क्षेत्रो में उत्पाद महंगा पड़ने के कारण यह इतने लोकप्रिय नही हुयेहै पर भविष्य में रिसर्च के बाद ये अपना स्थान बना लेंगे । जनरल मोटर्स ओर हौंडा ने हाइड्रोजन आधारित व्हीकल पर अपना ध्यान फोकस किया है क्योंकि इनकी फिलिंग का समय इलेक्ट्रिक गाड़ियों से आधा होता है 
   तेल उत्पादक देश के रूप में सऊदी अरब ने अपनी जगह बनाई है पर आप को जान कर हैरानी होगी कि यह देश एक ऐसा आधुनिक शहर नियोन बसाने में काम कर रहा है जो हाइड्रोजन ओर  इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर आधारित होगा जहां करीब 10 लाख लोगों के लिए उड़ने वाली गाड़िया होगी 500 अरब डॉलर वाले इस शहर को  इसलिए बसाया जा रहा है क्योंकि सऊदी अरब तेज़ी से भविष्य को पढ़ रहा है उसे पता है कि यदि अपने आप को बचाये रखना है तो भविष्य में एक कदम आगे रखना पड़ेगा  ,पेट्रोल डीजल के खात्मे से गल्फ देश  तेज़ी से डाउन फॉल की तरफ बढेंगे ।इसलिए समझदार देश एक कदम आगे बढ़ते हुए उस क्षेत्र में भी अपनी पकड़ बनाये रखना चाहते है जो भविष्य का आधार होगी । इसीलिए इस शहर का मुख्य एनर्जी सोर्स तेल नही ग्रीन हाइड्रोजन होगी ।

भारत क्यों कर रहा है तेल क्षेत्र में विनेश

    भारत सब कुछ जानते हुए भी तेल क्षेत्र में  तेज़ी से विनेश कर रहा है  कारण उसकी अपनी मजबूरियां है ,भारत का लगभग 30% व्यापार आय और रोजगार सिर्फ तेल से चल रहा है ,आज पेट्रो केमिकल से भारत मे विभिन्न उत्पाद तैयार हो रहे है जो  रोजगार ओर सरकार की आय का मुख्य साधन है  अगर ये एक झटके से खत्म हो गए तो भारत की इकॉनमी चरमरा जायेगी भारत सरकार की आय का सबसे आसान ओर बड़ा स्रोत्र ही पेट्रोल ओर डीज़ल में टेक्स है  दूसरा पेट्रोल डीजल गाडियों के पार्ट्स  इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों से ज्यादा तादाद में होते है जिससे लाखो इंडस्ट्री के द्वारा करोड़ो लोगो को आजीविका मिली है ,दूसरा इन गाड़ियों की सर्वसिंग से भी लोगो का रोजगार जुड़ा है जो हर गली चौराहे में अपनी दुकान खोले बैठे है ,इन के बारे में एजुकेशन सेक्टर में ट्रेड /डिप्लोमा कोर्स भी है जो कई संस्थानों की आय का स्रोत्र है । अब आप समझ गये होगें की क्यों सरकार न चाहते हुए भी उन विदेशी तेल कम्पनियों में हिस्सेदारी खरीद रही है जिसका आने वाले समय मे कोई भविष्य नही ।

निष्कर्ष
     भविष्य की जरूरतों को समझते हुये भारत सरकार को भी छोटे देशो से शिक्षा लेते हुए अपनी रणनीति तैयार करने की जरूरत है इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए बड़ी तादाद में चार्जिंग स्टेशन की जरूरत पड़ेगी जिस पर तेज़ी से काम करने की जररूत है ,भारत का इनकम का साधन जरूर पेट्रो संसाधन है पर भारत के आयात का बोझ  का भी यही कारण है अतः समझदारी से भविष्य में देखने की जरूरत है । ओर वैकल्पिक एनर्जी स्रोत्रों पर ध्यान फोकस करने की जरूरत है ।।

रविवार, 6 दिसंबर 2020

शिमला मिर्च का सोलन कनेक्शन

 

 शिमला मिर्च का सोलन सम्बन्ध ।

शिमला मिर्च में विटामिन A ओर विटामिन C भरपूर मात्रा में पाए जाते है  ओर आज की तारीख में नूडल्स से लेकर पनीर टिक्का सब मे ये इस्तेमाल होती है इनके बिना कई भारतीय व्यजन की आप सोच भी नही सकते ,क्योंकि इसे 5 मिनट में बनाया जा सकता है  इसे एनर्जी सेवर भी कहा जाता  है ,शिमला मिर्च वस्तुत दक्षिणी अमेरिका का पौधा है जहां इसकी खेती हज़ारों सालों से की जा रही है जैसे हल्दी की खेती भारत मे हज़ारों सालों से हो रही है , अंग्रेज़ इसे सबसे पहले बीज के रूप में भारत लेकर आये, क्योंकि शिमला मिर्च  के लिए अनुकूल वातावरण की जरूरत होती थी  ,इसलिए वो इसके लिए उपयुक्त जगह ढूंढ रहे थे  बाद में वो इसी वातावरण खोज के अंतर्गत शिमला आ पहुंचे जहां उन्होंने अपनी कालोनी पहले ही बसा दी थी क्योंकि यहां का वातावरण उनके इंग्लैड से मिलता जुलता था।

    अंग्रेज़ हर वो चीज़ जो उन्हें अपने देश मे पसन्द होती थी उन सब को भारत मे भी लाने की कोशिश करते थे क्योंकि इंग्लैड से बाहर सबसे ज्यादा बड़ी संख्या में भारत मे ही उनके लोग रहा करते थे  शिमला मिर्च की सब्ज़ी अंग्रेज़ बहुत ज्यादा पसंद करते थे तो उसे बीज के रूप में वो भारत लाये , हिमाचल का वातावरण शिमला मिर्च को उगाने के लिए मनमुफीद था इसलिए उन्होंने इसे सबसे पहले यही उगाने के निर्णय लिया  था ।

कैसे शिमला मिर्च इस जगह पहुंची

  उस समय शिमला का इलाका specified नही था ,आस पास के सभी इलाको को शिमला ही समझा जाता था , अंग्रेज़ आज के सुबाथू जहां उनका बड़ा आर्मी Establishment था शिमला से भी पहले बसा चुके थे व वहां रहा करते थे इसे तकरीबन 1815 में  उन्होंने बसाया  था उसके बाद उनकी नज़र में शिमला आ गया क्योंकि शिमला ज्यादा ऊंचाई में था और बहुत खूबसूरत भी था इसलिए अंग्रेज़ो ने शिमला में भी अपनी colony बनाने का निर्णय लिया और इसके लिए उन्होंने सुबाथू से शिमला को रोड बनाने का निश्चय किया इनके लिए  उन्होंने शिमला तक के सारे उपयुक्त रास्ते  खंगाल डाले, अंग्रेज़ जब शिमला तक का रोड बनाने के लिए  वाकनाघाट में  सर्वे  करने के लिए घूम रहे थे तो इन्हें ये जगह खेती के लिए बड़ी अनुकूल लगी ओर फिर बाद में शिमला मिर्च के लिये भी इसे अनुकूल माना गया । यानी वाकनाघाट । यहां न तो शिमला की तरह खड़ी चढ़ाई थी न ही वहां की तरह ठंड ,जो इसकी फसल उगाने व ट्रांस्पोर्टेशन के लिए बेहतरीन थी  ओर यह उनकी दो बस्तियों सुबाथू ओर शिमला को जोड़ने वाली सड़क के बीच मे आ रहा था तो इस जगह को शिमला मिर्च की खेती के लिए प्रयोगात्मक रूप से सबसे पहले यूज़ किया गया जहां से दोनो Army Cantt में आराम से इसकी सप्लाई की गई , क्यंकि ये जगह शिमला के नजदीक थी इसलिए उस समय पूरे भारत मे इसे शिमला के नाम से ही प्रचारित किया गया बस यही से इसका नाम शिमला मिर्च पड़ा ,जबकि वास्तव में ये वाकनाघाट क्षेत्र था ,जो सोलन में पड़ता है ।


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जिला सोलन के वाकनाघाट  में जे. पी . की आई .टी .युनिवर्सिटी भी बनी है ,आज भी यह जगह सब्जियों के लिए सबसे आदर्श मानी जाती है यहाँ की शिमला मिर्च की डिमांड दूर 2 तक है ,पर इस इलाके के लोगो को मलाल है कि उनके इलाके के नाम इतिहास में  दर्ज होते 2 रह गया ।

 अब किसान लाल ओर पीली शिमला मिर्च में फ़ोकस कर रहे है जिसकी डिमांड फाइव स्टार होटल में है व इसके रेट अच्छा मिलता है क्योंकि यहां अभी भी आर्गेनिक खेती होती है , व बहुत कम रासनयिक खाद का इस्तेमाल होता है  इसलिए लोग यहां की शिमला मिर्च को हाथों हाथ ले लेते है ।



शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

जनिये टूथब्रश करने का सही तरीका ।

 ज्यादातर लोगों को नहीं पता brush करने का सही तरीका ।

जनिये टूथब्रश करने का सही तरीका ।


   क्या आप जानते हैं कि ब्रश करने का सही तरीका क्या है, ज्यादातर लोग बहुत तेज़ी से ब्रश करते है क्योंकि उन्हें लगता है इससे दांत अच्छे से साफ होंगे पर होता उल्टा है इससे दांत कमज़ोर हो जाते है 

   कुछ उपयोगी जानकारी दांतो के बारे में 

  1      सुबह ब्रश करने के इलावा रात को भी ब्रश करना चाहिए ,सुबह अगर  कभी नाश्ता ब्रश से पहले मजबूरी में करना पड़े तो खाना खाने के 1 घंटे के बाद ही टूथब्रुश करना चाहिये ,इससे पहले ब्रश करने में नुकसान होता है ओर इनेमल क्षतिग्रस्त होता है । रात को सोने से पहले ब्रश करना सबसे ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि खाने के अन्न रात को सड़ कर दांतों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते है 

2     कभी भी टूथब्रश को गीला करके उसमे टूथपेस्ट लगा कर  दांतो को साफ न करे इससे पेस्ट के केमिकल झाग बनकर दांतो को नुकसान करते है । साथ मे ब्रश करने में परेशानी भी होती है ।

3     कभी भी दो मिनट से ज्यादा टूथब्रश न करे 

4      केवल मटर के दाने के बराबर  टूथपेस्ट ही ब्रश में लगाये ,इससे ज्यादा आपके मसूढो के लिए ठीक नही 

5       टूथब्रश को 45 डिग्री में रख कर गोल गोल घुमाते हुए ब्रश करे  कभी भी 90 डिग्री में ब्रश न करे  इससे दांतों को जबरदस्त नुकसान होता है ।

6       ब्रश करते हुए दांतो व मसूढो में जोर न लगाएं वर्ना मसूढ़े जल्दी ही दांतो का साथ छोड़ देंगे , सॉफ्ट ब्रश का इस्तेमाल करे ।

7        ब्रश करने के बाद  उंगलियों से मसूड़ों पर हल्का हल्का मसाज करने से ये मजबूत बने रहते है ।

8       क्लीनर से जीभ की सफाई जरूर करे नही तो ब्रश को हो उल्टा करके हल्के हाथों से जीभ साफ लर सकते है 

9       सप्ताह  में एक दिन दांतो को नींबू से साफ लड़ने से उस पर पीलापन नही आता 

10     दही विटामिन सी ओर पोष्टिक सलाद दांतो की सेहत बनाये रखते है 

11    बहुत गर्म या फ्रिज का  ठंडा पानी दांतों के इनेमल कमज़ोर करता है  इससे बचे ।

12       टूथ ब्रश को या तो महीने -दो महीने में बदले या गरमपानी में नमक डाल कर इसे दो मिनट के लिए उबाले ।जिससे इसके वैक्टीरिया नष्ट हो जाएंगे ।

13      कुछ भी खाने के बाद कुरला करना न भूले ।

    दांतो के सबसे ऊपर के भाग को इनेमल  कहा जाता है इसके नीचे का भाग डेंटिंन कहलाता है फिर पल्प आता है इनेमल ओर डेंटिंन तक का भाग अगर खराब हो तो फिलिंग से दांत बच जाता है हां डेंटिन में सड़न पहुचने से सेंसटिविटी होती है यानी गर्म ठंडा लगता है  पर यदि पल्प तक खराबी आ जाये तो RCT करानी पड़ सकती है क्योंकि पल्प में ही बारीक नसे होती है जब इसमें सड़न होती है तो तेज़ दर्द होना शुरू हो जाता हैं और पस  या मवाद दांतों के बेस वाली नसों में जमा हो जाती है  जिसका इलाज RCT (रूट कैनाल )से या इम्प्लांटेशन से संभव है । RCT इसलिए महंगी होती है क्यंकि इसका एक साथ इलाज नही होता व दो तीन या ज्यादा बार इसका चरणों मे इलाज करना पड़ता है एक एक नसों को निकाल कर देखना पड़ता है कि सड़न कहां तक पहुंची है । या फिर पूरा दांत इम्प्लांट कराना पड़ सकता है ।

       दांत अगर निकाले तो उसे साधारण में न ले मुँह के अंदर ऊपर ओर नीचे दोनो तरफ के दांत की आपस मे एलाइनमेंट होती है अगर उसे समय पर न भरा जाए तो जल्दी ही दांत एक दूसरे से अलाइनमेंट बिगाड़ना शुरू कर देते है ओर फिर टेढ़े मेढ़े दांत होने शुरू हो जाते है दूसरा एक तरफ के दांत टूटने पर आप मुँह के अंदर दूसरी तरफ के दांतों से काम लेना शुरू कर देते है जिससे उनमें तेज़ी से सड़न पैदा होने की सम्भवना हो जाती है ।

         

बुधवार, 2 दिसंबर 2020

टाटा ने जगाई उम्मीद की किरण

 टाटा ने की लिथियम बैटरी बनाने की घोषणा ।

टाटा ने जगाई उम्मीद की किरण


 टाटा  की सब्सिडियरी टाटा केमिकल ने आखिर देश की बहुमूल्य फॉरेन करेंसी खाने वाली लिथियम बैटरी बनाने का निश्चय कर लिया है 

 क्यों जरूरी है लिथियम बैट्री

    देश मे हर साल तकरीबन 9000 करोड़ की बैटरी आयात की जाती है जो इलेक्ट्रिक गाड़ियों में लगाई जाती है  महंगे  लिथियम बैट्री से भारत की इलेक्ट्रिक गाड़ियों का बाजार चल नही पा रहा क्योंकि इसकी कॉस्ट महंगी पड़ रही है ,चीन विश्व की 60% लिथियम बैट्री का एक्सपोर्ट कर रहा है ,जिससे वो मनमाने दाम ले रहा है ,टाटा के बेट्री प्लान से जहां भविष्य के इलेक्ट्रिक वाहनों के बाजार में उसकी पकड़ बनेगी वही बैट्री के आयात पर होने वाला बेफिज़ूल का खर्चा बचेगा उल्टा टाटा उसे विश्व भर में फैले अपने मजबूत नेटवर्क से एक्सपोर्ट करके पैसे भी कमाएगा ओर फॉरेन करेंसी भारत आएगी।

    देश को ओर क्या फायदे होंगे 

       इलेक्ट्रिक गाड़ियां 10 साल बाद उस समय की जरूरत होगी ,जैसे अभी पेट्रोल वाहन है । ओर इससे पॉल्युशन में काफी हद तक कंट्रोल होगा ,जिससे लोगो की सेहत में सुधार होंगा व स्वास्थ्य में सरकारी खर्च कम होगा ,कार्बन मानक को पूरा करने से देश मे पर्यटक ओर विदेशी निवेश भी बढ़ेगा । इसके इलावा चीन को आर्थिक चोट भी पहुंचेगी । टाटा ओर रिलायंस एक के बाद एक चोट चीन को दे रहे है 

   रिलायंस पहले ही चीन को 5G सेक्टर में टक्कर देने उतर रही है ।

   कहाँ लगेगा प्लांट

       टाटा ने इसके लिए गुजरात की धोलेरा जगह का चयन किया है जहां लगभग 4000 करोड़ का निवेश किया जाएगा ।

    अभी भारत मे अमर बेट्री ओर exide बेट्री इसका प्रोडक्शन कर रहे है  पर वो भारत की जरूरतों को पूरा नही कर पा रही । विश्व की सबसे बड़ी लिथियम आयन बेट्री की कम्पनी panasonic USA है ।

दिमाग को कॉपी करने वाली तकनीक बस आने वाली है ।

दिमाग को कॉपी करने वाली तकनीक बस आने वाली है  स्पीच सिंथेसाइजर जैसी तकनीक से एक कदम आगे की सोच रहे है एलन मस्क  SpaceX और Tesla जैसी कंपनियो...