सोमवार, 24 जनवरी 2022

दिमाग को कॉपी करने वाली तकनीक बस आने वाली है ।

दिमाग की कॉपी करने वाली तकनीक बस आने वाली है
दिमाग को कॉपी करने वाली तकनीक बस आने वाली है 



स्पीच सिंथेसाइजर जैसी तकनीक से एक कदम आगे की सोच रहे है एलन मस्क

 SpaceX और Tesla जैसी कंपनियों के मालिक एलन मस्क कुछ नया करने जा रहे है जो शायद मनुष्य जीवन मे अब तक कि सबसे लंबी छलांग होगी  । एलन मस्क  एक ऐसा तकनीक पर काम कर रहे है जिससे आपके दिमाग की मैपिंग करना बच्चों का खेल हो जाएगा ।

आने वाले समय में लोगों को कंप्यूटर और स्मार्टफोन इस्तेमाल करने के लिए बोलने की भी आवश्यकता  नही पड़ेगी ओर चुटकियों में काम हो जाएगा ।


  दिमाग के सहारे चलेंगे आपके गैजेट

 मस्‍क की कपनी ह्यूमन कंप्यूटर इंटरफेस कंपनी न्यूरालिंक (Neuralink) लंबे समय से एक ऐसी तकनीक पर काम कर रही है, जिसके सहारे लोगों के दिमाग में एक  चिप (Chip) इंप्लांट करने के बाद उनके सोचने भर से कई तरह की गतिविधि सम्भव हो जाएगी दूसरे शब्दों में कहे, तो टेलीपैथी यानी दिमाग की सोच के सहारे स्मार्टफोन और कंप्यूटर को ऑपरेट किया जा सकेगा , इस न्यूरल चिप इंप्लांट के बाद बिना कोई कमांड दिये बगैर  केवल दिमाग में उस चीज के बारे में सोचने भर से काम शुरू हो जाएगा. अभी तक कंप्यूटर चलाने के लिए आपको बोलना जरूरी होता था पर अब आपको किसी भी काम को करने के लिए बोलना भी जरूरी नही रहेगा बस सोचना मात्र होगा. बाकी का काम ये चिप कर देगी. 


 क्या है Neura Link ?


Neura link तकनीक में रोबोट की मदद से दिमाग मे electrode डाले जाएंगे  । खोपड़ी में एक माइनर से आपरेशन करके ये चिप इंसान के दिमाग मे फिट कर दी जाएगी उससे वह क्या सोच रहा है सब पता चल जाएगा क्योंकि चिप में लगा कंप्यूटर बड़ी जल्दी उसके दिमाग को पढ़ना सिख जाएगा 


दिमाग में करीब एक अरब न्यूरॉन होते है क्या इसकी कॉपी कर पाना सम्भव होगा  ?


शुरुआत में तो इससे केवल 1% इंसानी दिमाग को समझने की कोशिश की जायेगी न्यूरलिंक की इस चिप  से लोग अपनी यादों को संभाल कर रखने में कामयाब होंगे ,मतलब आप स्मार्टफोन के जैसे ही अपनी बैकअप मेमोरी बना पाओगे, ओर तो ओर इस  चिप के जरिये लोग अपनी याद्दाश्त को भी बढ़ा पाएंगे  , ब्रेन स्ट्रोक जैसी स्थिति में  इसे कंट्रोल भी किया जा सकेगा । पार्किसन जैसे रोगों में भी ये बड़ी मदद करेगा ।



 कहाँ तक पहुंची है यह तकनीक ?


न्यूरालिंक का परीक्षण बंदरों पर किया जा चुका है और यह उनमें अच्छे से काम कर रहा है. इससे एक बंदर आसानी से पोंग नाम का आर्केड गेम खेलना सीख गया है जिस को पहले जॉयस्टिक से खिलाया गया बाद में उसे हटा कर wireless चिप  से दिमाग को जोड़ा गया चौंकाने वाली बात यह रही कि बन्दर जैसा ही दिमाग मे सोचता वैसे ही एक दिमाग मे कंप्यूटर प्रोग्राम बना दिखता जिससे उसके सोचने के ढंग का भी पता लग रहा था  . न्यूरालिंक  चिप को बाल से भी पतले तारों के जरिये  दिमाग से जोड़ा जा रहा है. उम्मीद है कि यह इस साल या अगले साल मार्किट में आ सकता है  बन्दर के बाद सुअर पर भी इसका प्रयोग किया जा चुका है ।

क्या फायदा होगा नई तकनीक का ?


दुनिया मे सैकड़ो लोग ऐसे है जो बोल सुन नही पाते ,कुछ ऐसे भी है जो देख नही पाते ,इस तकनीक से उन लोगो की ब्रेन मैपिंग करके उनके दिमाग को समझने में मदद मिलेगी ,आसान शब्दो मे उनकी दिल की बात अब लोग सुन सकेंगे ।


  क्या खतरा है नई तकनीक से ?


 आज तक जितने अविष्कार हुए है उसे इंसान के लिए अच्छा बता कर प्रचारित किया गया पर बाद में वो इंसान के लिए भस्मासुर साबित हुये इसका भी कुछ ऐसा ही हाल लग रहा है । लोगो का दिमाग पढ़ने से अपराधियों पर लगाम लगाई जा सकेगी पर दूसरी यही आदमी किसी के दिमाग को पढ़ कर इनका उल्टा प्रयोग करने लगेंगे ।


बुधवार, 19 जनवरी 2022

इज़राइल ने अरबो के परमाणु बम से अपने को किया सुरक्षित ।

इज़राइल ने  अरबो के परमाणु बम से अपने को किया सुरक्षित ।

 इज़राइल ने  अरबो के परमाणु बम से अपने को किया सुरक्षित ।



इज़राइल ने किया Arrow 3 मिसाइल का परीक्षण ।


  क्या है Arrow 3 ? 


 एरो 3  मिसाइल वायुमण्डल के बाहर ही  दुश्मन की बैलेस्टिक मिसाईल को मार गिराने में सक्षम होगी 


क्या फायदा होगा इसका ?


  अभी  कोई भी बैलेस्टिक मिसाईल अपने दुश्मन पर अटैक करने के लिए पहले अपने देश से सीधे अन्तरिक्ष में जाती है और फिर वहां से जीपीएस की मदद से सीधे दुगनी रफ्तार से अपने दुश्मन देश के लक्ष्य को भेदती है,  इज़राइल के पास अभी भी iron Dome नाम की प्रतिरक्षा प्रणाली थी जिससे उसके ऊपर  कोई भी रॉकेट ओर बैलेस्टिक मिसाईल मार नही कर सकती थी  जो दुनिया ने इज़राईल हमास के बीच हुए युद्ध मे देखी थी । जिससे हमास के राकेट फुलझड़ी साबित हुए थे ।


बैलेस्टिक मिसाईल को नष्ट करने की क्षमता के बावजूद क्यों परेशान था इज़राइल ?


 बैलेस्टिक मिसाईल को तो इज़राइल आसमान में कुछ किलोमीटर ऊपर ही नष्ट कर सकता है पर यदि कोई देश परमाणु वाली बैलेस्टिक मिसाईल उसके ऊपर छोड़ता तो इज़राईल कुछ नही कर सकता था  क्योंकि अगर वो उसे कुछ किलोमीटर ऊपर destroy करता तो उस के अंदर रखी गई परमाणु सामग्री काफ़ी बड़े इलाके में फैल जाती और रेडिएशन बारिश या किसी भी रूप में वापिस इज़राईल  की धरती में ही गिरती जिससे कुछ किलोमीटर में फैला इज़राईल तबाह हो सकता था ,ख़ास कर ईरान के परमाणु प्रोग्राम को देखते हुए इज़राईल बड़ा चिंतित था ,अब वह इस arrow 3 से वायुमण्डल के बाहर ही  बैलेस्टिक मिसाईल को मार के गिराने में सक्षम हो गया है  जिससे अगर परमाणु मिसाईल इज़राइल द्वारा नष्ट भी की जाएगी तो उसका प्रभाव अन्तरिक्ष में ही रह जायेगा । यानी परमाणु युद से बचाव का  पूरा इंतज़ाम ,हां नजदीक से रॉकेट के जरिये अभी भी परमाणु हमला संभव है पर किसी भी परमाणु हथियार को चलाने से पहले उसे एक्टिवेट किया जाता है और नजदीक से हमला अगर करने की कोशिश की गई तो उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली उसके ऐक्टिविशन प्रोसेस को लगभग 100 किलोमीटर दूर से पकड़ लेगी ओर इज़राईल के बाकी विमान घुस कर उसे operate ही नही होने देंगे ।

भारत की क्या है तैयारी ?


 भारत  पहले ही anti सेटेलाइट मिसाईल का परीक्षण कर चुका है जो  इन मिसाइलों को तो छोड़िये ,इनको ऑपरेट करने वाली सेटेलाईट को ही तबाह करने में सक्षम होगा  ऐसे में  बिना जीपीएस के ये मिसाईल टॉय 2 फिस हो सकती है । बेशर्ते वो किसी शक्तिशाली देश की GPS सेवाएं ना ले रहा हो जिससे जीपीएस सेटेलाइट तबाह करने के कारण वो देश भारत का दुश्मन बन जाये ।

शनिवार, 15 जनवरी 2022

क्रिप्टोकरेंसी की पूरी रामायण

क्रिप्टोकरेंसी की पूरी रामायण ।

क्रिप्टोकरेंसी की पूरी रामायण
क्रिप्टोकरेंसी की पूरी रामायण

   एलेन मस्क (टेस्ला ओर स्पेस एक्स के मालिक )के बाद जेफ बेजोस( अमेज़न .कॉम के संस्थापक) भी  क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सुर्खियों में है जिन्होंने क्रिप्टो की दुनिया मे  उतरने का इशारा किया है  जिसके कारण अचानक फिर से डिजिटल करेंसी पर नई रेस चल पड़ी है । भारत मे शीतकालीन संसद अधिवेशन में इसको लेकर बहस हो सकती है और इस पर बिल भी पास होने की संभावना है उम्मीद तो ये है कि भारत भी अपनी क्रिप्टोकरेंसी के बारे में कुछ निणर्य ले सकता है । एक अनुमान के अनुसार भारत मे डेढ़ करोड़ लोग क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किये है जिसमे 1000 करोड़ तक कि रकम इस बाजार में लगी है  । 

क्रिप्टोकरेंसी दुनिया मे पहले बार तब आम लोगो की नज़र में आई जब मीडिया में एक खबर ने सुर्खियां बटोरी  ,खबर यह थी कि बिटकॉइन जो तीन चार साल पहले केवल एक रुपये के हजारवें भाग में मिलता था उसका रेट बढ कर 48 लाख प्रति कॉइन हो गया । यानी अगर तीन साल पहले किसी ने  एक रुपया भी बिटकॉइन में लगाया होता तो वो 45 लाख के मालिक बन गया  होता ।

   क्रिप्टो करेंसी मार्किट ओर किस नाम से जानी जाती  है ?

जहां क्रिप्टो करेंसी  की खरीद फरोख्त होती  है. उसे क्रिप्टोकरेंसी  एक्सचेंज, कहते है इसे   DCE, कॉइन बाजार ,क्रिप्टो बाज़ार ओर डिजिटल करेंसी बाजार जैसे नामों से जाना जाता है. 

बिटकॉइन की शुरुआत कैसे हुई ?

क्रिप्टोकरेंसी  की शुरुआत जापानी सतोशी नाकामोतो ने 2009 में शुरू किया था, लेकिन ऐसा नहीं है. कि इससे पहले इस पर कोई काम नही हुआ . अमरीका ने  भी इससे पहले 1996 में इससे मिलता जुलता  इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड लॉन्च किया था, जिससे बाद में शेयर बाजार में गोल्ड ETF की शुरुआत हुई ।

 क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी ?

   सभी देशो मे लोकल लेन देन के लिए  एक स्थानीय मुद्रा होती है जैसे भारत की रुपया ओर UK की पोंड पर ये सब बिना किसी बाधा के दूसरे देश मे नही चलती इनकी सबकी एक्सचेंज वेल्यू होती है जिससे इनका रेट भी अलग 2 होता है  पर क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी मुद्रा होती है  जिसकी स्वीकार्यता एक बराबर सब जगह एक जैसी होती है ।
        क्रिप्टोकरेंसी एक  कम्प्यूटर एल्गोरिदम  पर बनी डिजिटल करेंसी है  इस पर कोई भी  देश व गवर्नमेंट अपना  नियंत्रण नहीं रख सकती क्योंकि यह ऑनलाइन उपलब्ध है  इस संसार में हर एक नई चीज का शुरू में विरोोध होता है औरअपने शुरु के दिनों में इसका भी जमकर विरोध हुआ  लेकिन बाद में इसने popularity के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए ओर कई देशों ने इसे legal करार कर दिया था ,कुछ देश तो अब खुद की क्रिप्टोकरेंसी लाने की भी तैयारी कर रहे है एल सल्वाडोर  दुनिया का पहला देश भी बन गया जिसने  क्रिप्टोकरेंसी को लीगल मुद्रा के रूप में मान्यता दे दी ।

कई मनोरजक जानकारियां प्राप्त करने के लिए आप मुझे You tube  में  walia Knowldge Hub Vlog  के नाम से फॉलो कर सकते हो 

https://www.youtube.com/channel/UCjWWAYW89-oatEJeYUG9Gcw

कैसे काम करती है Cryptocurrency?


. इसके लेन-देन के लिए जिस प्रणाली का प्रयोग होता  है उसे ब्लॉकचेन कहते हैं। ये डिजिटल करेंसी इनक्रिप्टेड (कोडेड) होती हैं। ओर कंप्यूटर नेटवर्क के जरिए कंट्रोल किया जाता है। इसमें प्रत्येक लेन-देन का डिजिटल ब्लॉक के द्वारा रिकार्ड रखा जाता है ।
इस ब्लॉक की सिक्योरिटी और इंक्रिप्शन का काम माइनर्स का होता है. इसके लिए वे एक क्रिप्टोग्राफिक  का  हल एक ब्लॉक के जरिये  Hash ( कोड)   में सुरक्षित रखते है
ब्लॉकचेन में दर्ज  होने के कारण इसको हैक या कॉपी करना लगभग असंभव है प्रत्येक लेनदेन का पूरा रिकॉर्ड इस ब्लॉक के द्वारा आगे से आगे जुड़ता रहता है । क्योंकि इसकी पूरी जानकारी किसी एक के पास  नही होती बल्कि ब्लॉक के जरिये लाखो लोगो के पास होती है जिससे अगर इसे हैक करने हो तो सबकी सहमति एकसाथ चाहिए जो असम्भव है क्रिप्टोग्राफी की मदद से इसका रिकॉर्ड रखा जाता है. क्रिप्टो की खरीद को माइनिंग भी कहा जाता है ।

हैश खोजने से क्या होता है   ?

जब  माइनर अपना सुरक्षित hash खोजकर  इसमे ब्लॉक को सिक्योर कर देता है तत्तपश्चात इसे ब्लॉकचेन से जोड़ देता है और नेटवर्क में दूसरे कंप्यूटर के जरिए उसे वेरिफाई करता है. इस प्रोसेस को आम सहमति कहा जाता है. ।

आम सहमति के बाद क्या होता है ?

अगर आम सहमति  हो गई मतलब ब्लॉक के सिक्योर होने की पुष्टि हो गई. तो उसे सिक्योर करने वाले माइनर को क्रिप्टोक्वॉइन (cryptocoin) अलॉट कर दिए जाते हैं. यह एक रिवार्ड है जिसे काम के बदले मिलता है ।


इस समय कितने डिजिटल मुद्रा बाजार में है ?

कुल 2000  से ज्यादा क्रिप्टो मुद्राएं उपलब्ध हैं. जिन्हें हम Bitcoin के अलावा एथेरियम (ETH), लिटकोइन, डॉगकॉइन (Dogecoin) फेयरकॉइन (FAIR), डैश coin (DASH), पीरकॉइन (PPC), रिपल (XRP)  इत्यादि मार्किट में प्रसिद्ध हैं. 

क्या क्रिप्टोकरेंसी पर भरोसा किया जा सकता है  ।

क्रिप्टोकरेंसी पर भरोसा करने के इलावा अब कोई चारा नही बचा है  इसे आप एक आंकड़े से समझ सकते है 2021 में इसकी मार्किट  2000 अरब डॉलर से ज्यादा हो चुकी है अब तो जो देश इस पर सही समय पर निणर्य ले लेगा  वो भविष्य में समझदारी का कदम सिद्ध हो सकता है ।


भारतीय मार्केट प्लेयर एक्सचेंज कौन-कौन सी हैं?


WazirX, Unocoin, Zebpay जैसी  भारतीय कंपनियां भारत मे अपनी exchange के द्वारा   क्रिप्टो करेंसी के कारोबार में  अपनी सेवाएं दे रही हैं.  भारत सरकार ना तो इसको स्वीकार करती है ओर ना ही इसपर ban लगा पा रही है । खरीद फरोख्त की ये सभी एक्सचेंज 24 घंटे खुली रहतीहैं. इसको खरीदने और बेचने की प्रक्रिया भी काफी आसान है. आपको केवल इन  exchange  पर साइन अप करना होता है इसके बाद अपना KYC प्रोसेस पूरा कर वॉलेट में मनी ट्रांसफर करना होता है  इसके बाद आप लेन देन शुरू कर सकते है 

कौन है  भारत की सबसे बड़ी क्रिप्टो एक्सचेंज WazirX के फाइंडर ?

WazirX भारत की सबसे बड़ी ओर लोकप्रिय exchange है जिसके फाउंडर निश्चल शेट्टी है  बाजार में Coinbase और Binance जैसे इंटरनेशनल exchange  से भी आप   Bitcoin, Dogecoin और Ethereum जैसी दूसरी क्रिप्टोकरेंसी  खरीद सकते है , सभी exchange में सारी क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के लिए उपलब्ध नही होती । अलग 2 एक्सचेंज में अलग 2 डिजिटल मुद्रा की लोकप्रियता से इसे लॉन्च किया जाता है  इससे आप दुनिया की महंगी से महंगी चीज़ खरीद सकते है ये अब हर जगह स्वीकार्य हो गया है केवल सरकार को छोड़ कर कुुुछ दिनों पहले वर्ल्ड का सबसे बड़ा हीरा क्रिप्टो करेंसी से ही खरीदा गया ।

 सरकारे इसे स्वीकार करने में डर क्यों रही है  ?

       सरकारें इस पर  शक़ करती आई है और इसे अपनी करेंसी के लिए ख़तरा मानती हैं क्योंकि ये एक ऐसी वर्चुअल दुनिया का हिस्सा है जो  ना तो किसी एक व्यक्ति ओर ना ही सरकार के नियंत्रण में है इसलिए यह  मुद्रा अपनी समानांतर दुनिया खड़ी कर सकता है ।


सट्टा खेलने का अगर  शौक है तो ये है बेहतर विकल्प ।

 cryptocurrency के बाजार में लगा सकते हो बेहतर सट्टा , बाजार में कई ऐसे coin है जो आपको एक पैसे  से भी कम में मिल जाएंगे  कई तो 100 रुपये के आपको  एक करोड़ coin भी मिल जाएंगे  अगर आप मोटा मोटा 100 अलग 2 कॉइन में  100 रुपये प्रति कॉइन के हिसाब से निवेश करके भूल जाये यानी 10,000 रुपये  लगा कर भविष्य  के लिए बुरा सपना समझ के भूल जाये तो किस्मत का पता नही चलता 100 में से अगर एक आधा coin भी चल पड़ा  तो लाखों का फायदा होते समय नही लगेगा ।
आप की knowldge के लिए बता दूं की ज्यादातर कॉइन का कोई fundamental नही होता सब speculation पर चलते है हर कॉइन की एक फिक्स संख्या बाजार में उतारी जाती है  जब सब कॉइन खरीददार द्वारा खरीद लिए जाते है यानी बर्न हो जाते है तब इसकी वैल्यू बढ़ना चालू हो जाता है उसके बाद जब कोई इसे बेचेगा तभी दूसरा इसे खरीद पायेगा इससे इसका रेट बढ़ना चालू हो जाता है यानी अगर 1 पैसे  से भी कम संख्या वाले  coin कभी एक रुपये का हो गया तो एक करोड़ बनते समय नही लगेगा । भारत की सबसे बड़ी क्रिप्टो exchnge wazirx में लगभग  एक लाख लोगो ने एकाउंट बना रखा  है ।

क्रिप्टो करेंसी से inspire होकर एक नई डिजिटल करेंसी आज की दुनिया मे लोगो के सिर चढ़ कर बोल रही है जिसे नॉन फंजिबल टोकन  (NFT) कहा जाता है जल्दी ही इसके बारे में आप के लिए अलग से एक ब्लॉग लाऊंगा ।

आपका संजीव वालिया 

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मंगलवार, 11 जनवरी 2022

इलेक्ट्रिक बेट्री में क्रांति की तैयारी ।


 बेट्री में क्रांति की तैयारी ।







फॉक्सवेगन कम्पनी बेट्री के फील्ड में क्रांति लाने की तैयारी कर रही है  वो लोहे से बेट्री बनाने की तैयारी कर रही है  ।

 बेट्री क्या है  ?

सिंपल भाषा मे oxidation  ओर  reduction की प्रकिया है  लिथियम में ये काम easily हो जाता है मतलब वो आसानी से  इलेक्ट्रॉन दे और ले सकता है यानी जब उसे चार्ज होना होता है तो वो ion को अपने मे चिपका लेता है खींच लेता है और जब उसे dishcharge होना होता है मतलब बेटरी में से power supply करनी होती है तो ion   या इलेक्ट्रान को  अपने से अलग कर लेता है 

जैसे  Li=Li+ e - 

जब कोई मेटल इलेक्ट्रॉन except कर लेता है तो उसे reduction कहते है जैसे Li +e-=Li 

इसके उल्टे  जब ये इलेक्ट्रॉन अपने से अलग या ट्रांसफर करता है तो इसे उसे ऑक्सीडेशन कहते है जैसे लोहे में जंग लगना जब वो ऑक्सीज़न के साथ मिलकर electrone  ट्रान्सफर करता है  जैसे Fe2 +o2=Fe2O3+H2O जिसे आप जंग कहते है 

यानि लोहे को जब चार्ज करना होगा तो उसे rust से लोहा बनना होगा यानी जंग (Rust) का भी स्थायी solution खोजा जायेगा  यहीं क्रन्ति होगी  । यानी अगर किसी धातु पर जंग का डर नही होगा तो वो काफी ज्यादा वैल्यू देगा ।

electricity क्या है ?

 electricity फ्लो ऑफ इलेक्ट्रॉन को कहते है   यानी जब पॉजिटिव नेगीटिव आयन एक दूसरे की तरफ आकर्षित होते है  तब करंट बनता है  अब वैज्ञानिकों के दिमाग मे आया कि लोहे के पास तो दुगनी ओर तिगनी इलेक्ट्रोन है जैसे Fe 2 ओर Fe3 अगर ये  से अपने से electrone अलग करना सीख ले और  वापस फिर ग्रहण करना सीख ले तो ये बेट्री में कन्वर्ट हो सकता है ओर लिथियम से ज्यादा पावरफुल बन सकता है तो अब इसी दिशा में काम व अनुसंधान चला है अगर ये सफल हो गया तो न केवल पर्यावरण में सुधार होगा अपितु  कई देशों की इकॉनमी भी सुधार जाएगी जो अभी तेल पर निर्भर है ।

 

भारत क्या कर रहा है इस दिशा में ?

भारत भी इजराइल के साथ मिलकर इसी तरह एल्मुनियम आधारित बेट्री बनाने के लिए अनुसंधान कर रहा है  और कई देश भी इस दिशा में तरह तरह के प्रोजेक्ट बनाने में लगे है कई नए स्टार्ट अप भी शुरू हो रहे है ।इसके अतिरिक्त भारत पावर सेक्टर में भी कम कर रहा है और हैड्रोकार्बन पर तेज़ी से काम कर रहा है जिसे आने वाले समय का एनर्जी का मैन सोर्स माना जा रहा है रिलायंस भी इस दिशा में लगी हुई है ।

 

क्या फर्क पड़ेगा इसका  ?

  भविष्य में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमतों में कमी आएगी अभी इनमें लिथियम बेट्री का प्रयोग किया जा रहा है जो  काफी ज्यादा  महंगी है क्योंकि लिथियम के भंडार दुनिया भर में सिर्फ चार पांच जगह तक सीमित है 

जिसमे बोलविया,चिली ,ऑस्ट्रेलिया,  ब्राजील जैसे देश शामिल है और इसमे भी चीन ने मोटी हिस्सेदारी  खरीद रखी है जिससे उसकी  बेट्री बाजार में  मोनोपोली है  

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

बिटकॉइन हुआ 36 लाख पार

 एलन मस्क का क्रिप्टो करंसी में भारी निवेश 

एलन मस्क के क्रिप्टो करंसी बिटकॉइन में डेढ़ अरब डॉलर निवेश करते ही  इसका रेट 48000 डॉलर हुआ पार यानी

भारतीय रुपये में 36 लाख प्रति बिटकॉइन  हालांकि बाद मेंं ये 32  lakh पहुँच गया 
       2008-09 में सतोषी नाकामोतो नामक एक जापानी सॉफ्टवेयर डेवलपर बिटकॉइन को प्रचलन में लाया था ,यदि 2013 में भी आपने इस अदृश्य करंसी में आपने  8000 रुपये इन्वेस्ट किये होते तो आज आप भारतीय करेंसी में 36 लाख के मालिक होते  सट्टा बाजार में अभी भी इसके एक लाख डॉलर प्रति बिटकॉइन तक पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है ,भारत मे भी एक दो एक्सचेंज इसका खाता KYC पूरा करके खोलती  है पर इसमें जोखिम भी कम नही एक बार ये सीधे 3000 डॉलर तक गिर गई थी बिटकॉइन को टुकड़ो में भी खरीदा जा सकता है अब मर्जी आपकी  रिस्क ले लो या संतुष्ट जिन्दगो जीते रहो ।

Bitcoin के चोरी होने की आशंका भी बनी रहती है कुल मिला कर इसकी स्पस्ट नीतियां नही है जिसके कारण जानकार इसमें निवेश कम ही करते है पर तब भी काफी लोग उसमे gamble खेलना पसंद करते है ,एक ऐसे ही वाक्या में एक व्यक्ति ने बिटकॉइन को खरीदा ओर इसके पासवर्ड को हार्ड डिस्क में save कर लिया क्योंकि इसका पासवर्ड कुछ ज्यादा ही complicated होता है ,बाद में वो इसे भूल गया वो नो  बार हार्ड डिस्क में गलत पासवर्ड डाल बैठा है ओर अब एक बार भी वह गलत पासवर्ड डालता तो वो सदा सदा के लिए पासवर्ड डिलीट हो जाएगा क्योंकि हार्ड डिस्क केवल 10 बार सही पासवर्ड डालने का ऑप्शन देता है  ,ओर आज की तारीख में उसके करोड़ो रूपये डूब जाएंगे जो बिटकॉइन में तेज़ी से बने है  ,सारी दुनिया उसके पासवर्ड भूलने की story जान गई है पर कुछ भी नही कर सकती   RBI ने इसके ऊपर  पाबन्दी के संकेत दिये है ओर इसी बजट सत्र में इसके ऊपर बिल लाया जा सकता है ।

शनिवार, 12 दिसंबर 2020

भविष्य में इलेक्ट्रिक ओर हइड्रोजन से वलेगी गाड़ियां

भविष्य में इलेक्ट्रिक ओर  हइड्रोजन से वलेगी गाड़ियां
Electric n Hydrojan Vehicle

 भविष्य में इलेक्ट्रिक ओर  हइड्रोजन से चलेगी गाड़ियां

  ईंधन का बाजार तेज़ी से चेंज हो रहा है ,ब्रिटेन ने 2030 तक सभी गाड़ियां इलेक्ट्रिक करने की घोषणा की है ,भारत सरकार भी 2030 तक 30% इलेक्ट्रिक गाड़ियां चलाने का लक्ष्य रखे हुए है ।

विकल्प ओर भी है 

 इलेक्ट्रिक के इलावा पानी से तैयार होने वाला हाइड्रोजन  भी ईंधन के रूप में तेज़ी से जगह बना रहा है बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगो मे तेज़ी से बीमारियां बढ़ी है ओर इसी से निजात पाने के लिए पेट्रोल डीजल के विकल्प के रूप में  हाइड्रोजन ओर इलेक्ट्रिक गाड़ियों  ने अपनी जगह बनानी शुरू कर दी है  यद्यपि अभी दोनो क्षेत्रो में उत्पाद महंगा पड़ने के कारण यह इतने लोकप्रिय नही हुयेहै पर भविष्य में रिसर्च के बाद ये अपना स्थान बना लेंगे । जनरल मोटर्स ओर हौंडा ने हाइड्रोजन आधारित व्हीकल पर अपना ध्यान फोकस किया है क्योंकि इनकी फिलिंग का समय इलेक्ट्रिक गाड़ियों से आधा होता है 
   तेल उत्पादक देश के रूप में सऊदी अरब ने अपनी जगह बनाई है पर आप को जान कर हैरानी होगी कि यह देश एक ऐसा आधुनिक शहर नियोन बसाने में काम कर रहा है जो हाइड्रोजन ओर  इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर आधारित होगा जहां करीब 10 लाख लोगों के लिए उड़ने वाली गाड़िया होगी 500 अरब डॉलर वाले इस शहर को  इसलिए बसाया जा रहा है क्योंकि सऊदी अरब तेज़ी से भविष्य को पढ़ रहा है उसे पता है कि यदि अपने आप को बचाये रखना है तो भविष्य में एक कदम आगे रखना पड़ेगा  ,पेट्रोल डीजल के खात्मे से गल्फ देश  तेज़ी से डाउन फॉल की तरफ बढेंगे ।इसलिए समझदार देश एक कदम आगे बढ़ते हुए उस क्षेत्र में भी अपनी पकड़ बनाये रखना चाहते है जो भविष्य का आधार होगी । इसीलिए इस शहर का मुख्य एनर्जी सोर्स तेल नही ग्रीन हाइड्रोजन होगी ।

भारत क्यों कर रहा है तेल क्षेत्र में विनेश

    भारत सब कुछ जानते हुए भी तेल क्षेत्र में  तेज़ी से विनेश कर रहा है  कारण उसकी अपनी मजबूरियां है ,भारत का लगभग 30% व्यापार आय और रोजगार सिर्फ तेल से चल रहा है ,आज पेट्रो केमिकल से भारत मे विभिन्न उत्पाद तैयार हो रहे है जो  रोजगार ओर सरकार की आय का मुख्य साधन है  अगर ये एक झटके से खत्म हो गए तो भारत की इकॉनमी चरमरा जायेगी भारत सरकार की आय का सबसे आसान ओर बड़ा स्रोत्र ही पेट्रोल ओर डीज़ल में टेक्स है  दूसरा पेट्रोल डीजल गाडियों के पार्ट्स  इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों से ज्यादा तादाद में होते है जिससे लाखो इंडस्ट्री के द्वारा करोड़ो लोगो को आजीविका मिली है ,दूसरा इन गाड़ियों की सर्वसिंग से भी लोगो का रोजगार जुड़ा है जो हर गली चौराहे में अपनी दुकान खोले बैठे है ,इन के बारे में एजुकेशन सेक्टर में ट्रेड /डिप्लोमा कोर्स भी है जो कई संस्थानों की आय का स्रोत्र है । अब आप समझ गये होगें की क्यों सरकार न चाहते हुए भी उन विदेशी तेल कम्पनियों में हिस्सेदारी खरीद रही है जिसका आने वाले समय मे कोई भविष्य नही ।

निष्कर्ष
     भविष्य की जरूरतों को समझते हुये भारत सरकार को भी छोटे देशो से शिक्षा लेते हुए अपनी रणनीति तैयार करने की जरूरत है इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए बड़ी तादाद में चार्जिंग स्टेशन की जरूरत पड़ेगी जिस पर तेज़ी से काम करने की जररूत है ,भारत का इनकम का साधन जरूर पेट्रो संसाधन है पर भारत के आयात का बोझ  का भी यही कारण है अतः समझदारी से भविष्य में देखने की जरूरत है । ओर वैकल्पिक एनर्जी स्रोत्रों पर ध्यान फोकस करने की जरूरत है ।।

रविवार, 6 दिसंबर 2020

शिमला मिर्च का सोलन कनेक्शन

 

 शिमला मिर्च का सोलन सम्बन्ध ।

शिमला मिर्च में विटामिन A ओर विटामिन C भरपूर मात्रा में पाए जाते है  ओर आज की तारीख में नूडल्स से लेकर पनीर टिक्का सब मे ये इस्तेमाल होती है इनके बिना कई भारतीय व्यजन की आप सोच भी नही सकते ,क्योंकि इसे 5 मिनट में बनाया जा सकता है  इसे एनर्जी सेवर भी कहा जाता  है ,शिमला मिर्च वस्तुत दक्षिणी अमेरिका का पौधा है जहां इसकी खेती हज़ारों सालों से की जा रही है जैसे हल्दी की खेती भारत मे हज़ारों सालों से हो रही है , अंग्रेज़ इसे सबसे पहले बीज के रूप में भारत लेकर आये, क्योंकि शिमला मिर्च  के लिए अनुकूल वातावरण की जरूरत होती थी  ,इसलिए वो इसके लिए उपयुक्त जगह ढूंढ रहे थे  बाद में वो इसी वातावरण खोज के अंतर्गत शिमला आ पहुंचे जहां उन्होंने अपनी कालोनी पहले ही बसा दी थी क्योंकि यहां का वातावरण उनके इंग्लैड से मिलता जुलता था।

    अंग्रेज़ हर वो चीज़ जो उन्हें अपने देश मे पसन्द होती थी उन सब को भारत मे भी लाने की कोशिश करते थे क्योंकि इंग्लैड से बाहर सबसे ज्यादा बड़ी संख्या में भारत मे ही उनके लोग रहा करते थे  शिमला मिर्च की सब्ज़ी अंग्रेज़ बहुत ज्यादा पसंद करते थे तो उसे बीज के रूप में वो भारत लाये , हिमाचल का वातावरण शिमला मिर्च को उगाने के लिए मनमुफीद था इसलिए उन्होंने इसे सबसे पहले यही उगाने के निर्णय लिया  था ।

कैसे शिमला मिर्च इस जगह पहुंची

  उस समय शिमला का इलाका specified नही था ,आस पास के सभी इलाको को शिमला ही समझा जाता था , अंग्रेज़ आज के सुबाथू जहां उनका बड़ा आर्मी Establishment था शिमला से भी पहले बसा चुके थे व वहां रहा करते थे इसे तकरीबन 1815 में  उन्होंने बसाया  था उसके बाद उनकी नज़र में शिमला आ गया क्योंकि शिमला ज्यादा ऊंचाई में था और बहुत खूबसूरत भी था इसलिए अंग्रेज़ो ने शिमला में भी अपनी colony बनाने का निर्णय लिया और इसके लिए उन्होंने सुबाथू से शिमला को रोड बनाने का निश्चय किया इनके लिए  उन्होंने शिमला तक के सारे उपयुक्त रास्ते  खंगाल डाले, अंग्रेज़ जब शिमला तक का रोड बनाने के लिए  वाकनाघाट में  सर्वे  करने के लिए घूम रहे थे तो इन्हें ये जगह खेती के लिए बड़ी अनुकूल लगी ओर फिर बाद में शिमला मिर्च के लिये भी इसे अनुकूल माना गया । यानी वाकनाघाट । यहां न तो शिमला की तरह खड़ी चढ़ाई थी न ही वहां की तरह ठंड ,जो इसकी फसल उगाने व ट्रांस्पोर्टेशन के लिए बेहतरीन थी  ओर यह उनकी दो बस्तियों सुबाथू ओर शिमला को जोड़ने वाली सड़क के बीच मे आ रहा था तो इस जगह को शिमला मिर्च की खेती के लिए प्रयोगात्मक रूप से सबसे पहले यूज़ किया गया जहां से दोनो Army Cantt में आराम से इसकी सप्लाई की गई , क्यंकि ये जगह शिमला के नजदीक थी इसलिए उस समय पूरे भारत मे इसे शिमला के नाम से ही प्रचारित किया गया बस यही से इसका नाम शिमला मिर्च पड़ा ,जबकि वास्तव में ये वाकनाघाट क्षेत्र था ,जो सोलन में पड़ता है ।


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जिला सोलन के वाकनाघाट  में जे. पी . की आई .टी .युनिवर्सिटी भी बनी है ,आज भी यह जगह सब्जियों के लिए सबसे आदर्श मानी जाती है यहाँ की शिमला मिर्च की डिमांड दूर 2 तक है ,पर इस इलाके के लोगो को मलाल है कि उनके इलाके के नाम इतिहास में  दर्ज होते 2 रह गया ।

 अब किसान लाल ओर पीली शिमला मिर्च में फ़ोकस कर रहे है जिसकी डिमांड फाइव स्टार होटल में है व इसके रेट अच्छा मिलता है क्योंकि यहां अभी भी आर्गेनिक खेती होती है , व बहुत कम रासनयिक खाद का इस्तेमाल होता है  इसलिए लोग यहां की शिमला मिर्च को हाथों हाथ ले लेते है ।



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